Railways News :गोरखपुर से छपरा तक रेलवे लाइन और स्लीपर बदलने का काम दिसंबर 2025 तक पूरा होगा। 52 किलो की जगह 60 किलो की रेल लाइन लग रही है जिससे ट्रेनों की गति 130 किमी प्रति घंटे तक हो जाएगी। सुरक्षा के लिए फेंसिंग और आधुनिक सिग्नल सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं। 128 ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार मिल चुकी है।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रेलमार्ग पर अब अधिकतम 110 की जगह 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी। गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किमी रेलमार्ग पर रेल लाइनें और स्लीपर बदलने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। जो दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा। 52 किलोग्राम वाली एक मीटर लंबी रेल लाइन की जगह 60 किलोग्राम की रेल लाइन लगाई जा रही है।
281 किलोग्राम के नए मजबूत स्लीपर लगाए जा रहे हैं। नए स्लीपर और रेल लाइनों पर लोडेड ट्रेनें भी निर्बाध ढंग से अधिकतम गति से चल सकेंगी। ट्रेनों की गति के साथ सुरक्षा भी बढ़ जाएगी। सुरक्षा के लिए रेल लाइनों किनारे बाड़ (फेंसिंग) लगाए जा रहे हैं। बाराबंकी-गोंडा-गोरखपुर-छपरा मार्ग पर कवच का अपग्रेड वर्जन 4.0 लगाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है।
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Railways News : जानकारों के अनुसार रेलवे स्टेशनों पर प्वाइंट की जगह नए आधुनिक मजबूत थिक वेब स्विच लगाए जा रहे हैं। थिक वेब स्विच से स्टेशन यार्डों में भी ट्रेनों की गति कम नहीं होगी। बाराबंकी से छपरा तक अभी तक लगभग 250 ‘थिक वेब स्विच’ लगाए जा चुके हैं। वर्ष 2025 में मेन रेल लाइन के सभी प्वाइंटों पर ””थिक वेब स्विच”” लगाने की तैयारी है।
Railways News: इसके अलावा स्टेशनों पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। गोरखपुर जंक्शन और गोरखपुर कैंट समेत पूर्वोत्तर रेलवे के 105 स्टेशनों पर कंप्यूटर के माउस से ट्रेनें चलने लगी हैं। जिसमें लखनऊ मंडल के 40, वाराणसी मंडल के 52 तथा इज्जतनगर मंडल के 13 स्टेशन शामिल हैं।
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वृहद स्तर पर पटरियों और सिस्टम में सुधार के साथ रेलवे बोर्ड की स्थायी बहु विषयक समिति ने ‘हाई स्पीड’ ट्रेनों की नई परिभाषा गढ़ी है। समिति के अनुसार अधिकतम 110 की बजाय 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेनें ही अब ‘हाई स्पीड’ कहलाएंगी। Railways News
128 ट्रेनों को मिल चुकी है अधिकतम 160 की गति
पूर्वोत्तर रेलवे की 128 ट्रेनों को अधिकतम 160 की रफ्तार मिल गई है। इन सभी ट्रेनों में लिंक हाफमेन बुश (एलएचबी) कोच लगने लगे हैं। पारंपरिक कोचों (आइसीएफ) के अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे की तुलना में एलएचबी कोचों की अधिकतम रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे होती है। यानी, ट्रेनें पहले से ही अधिकतम गति से चलने के लिए तैयार हैं। Railways News
तेजी से लग रहा आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम
ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे में तेजी के सााथ आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगाए जा रहे हैं। बीते वित्त वर्ष में गोरखपुर के रास्ते गोविंदनगर से देवरिया सदर तक 125 किमी से अधिक रेलमार्ग पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम कार्य करने लगे हैं। आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लग जाने से एक रेल खंड के एक सेक्शन में पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी।Railways News
गति बढ़ाने के लिए डबल की जा रही विद्युत क्षमता
ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से छपरा तक विद्युत क्षमता भी डबल की जाएगी। बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा मुख्य रेलमार्ग पर लगे ओएचई (ओवरहेड इक्यूपमेंट) में पावर क्षमता बढ़ाने का कार्य आरंभ हो गया है। ओएचई में बह रही एक गुणा 25 केवी बिजली की क्षमता को बढ़ाकर दो गुणा 25 की जा रही है। ट्रेनों की गति तो बढ़ेगी ही, अधिक संख्या में ट्रेनें भी चलाई जा सकेंगी।Railways News